आईएएस अधिकारी की शक्तियां और सुविधाएं? | power of ias officer in hindi

इस आर्टिकल में हम एक आईएएस अधिकारी की शक्ति और सुविधाओं के बारे में बात करेंगे। 

दोस्तों सरकारी नौकरियों में सिविल सेवाओं की नौकरी सबसे उच्च स्तर की सरकारी नौकरी मानी जाती है, और इसमें IAS यानी Indian Administrative Service सबसे प्रमुख service होती है। 

सिविल सेवा में जाने के लिए यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने वाले ज्यादातर युवा का सपना यही होता है कि वे हाई रैंक से civil service की परीक्षा को क्रैक करके एक आईएएस ऑफिसर बनें। 

IAS एक बहुत ही प्रतिष्ठित नाम है, ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल आना भी लाजमी है कि आखिर एक आईएएस अधिकारी की शक्ति और सुविधाएं क्या होती हैं? 

यानी कि आईएएस अधिकारियों के पास क्या शक्तियां होती हैं, और उन्हें सरकार की ओर से क्या सुविधाएं मिलती हैं?

यहां इस आर्टिकल में हम मुख्य तौर पर इसी की बात करेंगे, आईएएस अधिकारी शक्ति और सुविधाओं के बारे में ही हम यहां चर्चा करेंगे। 

जानेंगे कि प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को सरकार के द्वारा क्या powers दी जाती हैं, और उन्हें कौन-कौन सी बेहतरीन सरकारी सुविधाएं मिलती हैं?

आज हम जानेंगे

IAS officer की शक्ति और सुविधाएं (ias power in hindi) –

पहले हम, आईएएस के बारे में थोड़ा बात करते हैं। 

इसका पूरा नाम Indian Administrative Service है, जिसे हिंदी में भारतीय प्रशासनिक सेवा कहते हैं। 

और इस सेवा में नियुक्त किए जाने वाले अधिकारी IAS officers होते हैं। 

आईएएस अधिकारी का चयन UPSC द्वारा आयोजित civil service के एग्‍जाम (CSE) में मिले उनके रैंक के अनुसार होता है। 

इस UPSC की एग्‍जाम में top ranks लाने वालों को IAS का post मिलता है। 

हालांकि कई बार टॉप रैंक पाने वालों उम्मीदवारों का preference IPS या IFS होता है, इस कारण निचले रैंक लाने वालों को भी IAS की पोस्ट मिल सकती है। 

IAS के बाद की रैंक वालों को आईपीएस और आईएफएस आदि की पोस्ट मिलती है। 

आईएएस के पद पर चयन हो जाने के बाद उन्हें 3 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है, जिसमें उन्हें आईएस के कामों से संबंधित सभी जरूरी चीजों सिखाई जाती हैं। 

और ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद उन्हें service करने भेज दिया जाता है, जहां पर उन्हें किसी विशेष क्षेत्र या विभाग का प्रशासन सौंपा जाता है। 

IAS को अपने संबंधित क्षेत्रों के विकास के लिए प्रस्ताव बनाने और सरकारी नीतियां लागू करने के साथ-साथ जरूरी निर्णय लेने के लिए कार्यकारी शक्तियां भी दी जाती हैं। 

आईएएस अधिकारी की पहली पोस्टिंग sub divisional magistrate के रूप में होती है। 

इसके बाद उन्‍हें जिला मजिस्ट्रेट और उपायुक्त के पोस्‍ट पर प्रमोशन मिलता है। 

केंद्र और राज्य सचिवालय के पदों पर IAS अधिकारियों की ही जरूरत होती है, जो PSU प्रमुख के रूप में काम करते हैं। 

एक IAS officer जिले में काम करने के अलावा एक कैबिनेट सचिव, संयुक्त सचिव, उपसचिव और अवर सचिव के रूप में भी काम करता है। 

Cabinet Secretary भारत का सर्वोच्च पद होता है, जिस पर सिर्फ एक IAS ऑफिसर ही काम कर सकता है। 

States में भी टॉप पोस्‍ट चीफ सेक्रेटरी की ही होती है, जो एक IAS ही होता है।

IAS के कामों में, उन्हें अपने संबंधित क्षेत्रों के विकास के लिए प्रस्ताव बनाना होता है, साथ ही उन्हें सभी नीतियों को लागू करने और महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए कार्यकारी शक्तियां दी जाती हैं। 

एक आईएएस ऑफिसर जिलाधिकारी के रूप में काफी ज्यादा शक्तिशाली होता है। 

एक आईएस के पास ही जिले के सभी विभाग की जिम्मेदारी होती है। 

IAS, जिलाधिकारी के रूप में कई विभागों के साथ-साथ पुलिस विभाग का भी मुखिया होता है। 

जिले की पुलिस व्यवस्था की जिम्मेदारी भी IAS के पास ही होती है। अपने जिले में, जिले में निषेधाज्ञा, धारा 144 आदि law and order से जुड़े सभी निर्णय एक DM ही लेता है। 

यहां तक कि भीड़ पर कार्रवाई करने या फायरिंग करने जैसे आर्डर भी डीएम दे सकता है।

असल में, आईएएस अधिकारी कुछ अलग अलग पदों को सुशोभित करते हैं, जिसमें से जिला कलेक्टर/उपायुक्त/जिलाधिकारी/ जिलाधीश का post ही सबसे मुख्य है। 

जिला मजिस्ट्रेट कलेक्टर के रूप में एक आईएएस अधिकारी की शक्तियो में, जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टर ही जिले का मुख्य कार्यकारी, प्रशासनिक और राजस्व अधिकारी होता है। 

इन्हीं का काम जिले में कार्य कर रहीं सभी अलग अलग सरकारी एजेंसियों के बीच जरूरी समन्वय स्थापित करने का होता है। 

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IAS अधिकारी की अन्य शक्तियां और जिम्मेदारियाँ –

जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टर के रूप में एक आईएएस ऑफिसर के कामों और दायित्वों को इस तरह से बांटा जा सकता है, जिसमें कलेक्टर, जिला मजिस्ट्रेट, डिप्टी कमिश्नर, मुख्य प्रोटोकॉल अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और निर्वाचन अधिकारी के काम आते हैं। 

एक-एक करके इनके कामों को देखें तो –

  • कलेक्टर के के काम में, भूमि मूल्यांकन, भूमि अधिग्रहण, भूमि राजस्व का संग्रहण, भूमि रिकार्डों का रख-रखाव, भूमि सुधार व जोतों का एकीकरण, बकाया आयकर, उत्पाद शुल्क, सिंचाई बकाया को वसूलना, कृषि ऋण का वितरण, बाढ़, सूखा और महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय आपदा प्रबंधन, बाह्य आक्रमण और दंगों के समय संकट प्रबंधन, जिला बैंकर समन्वय समिति का अध्यक्षता, जिला योजना केंद्र की अध्यक्षता आदी आ जाते हैं।
  • जिला मजिस्ट्रेट के कामों में, कानून व्यवस्था की स्थापना, पुलिस और जेलों का निरीक्षण करना, अधीनस्थ कार्यकारी मजिस्ट्रेटों का निरीक्षण करना, अपराध प्रक्रिया संहिता के निवारक खंड से सम्बंधित मुकदमों की सुनवाई करना, मृत्यु दंड के कार्यान्वयन को प्रमाणित करना, सरकार को वार्षिक अपराध प्रतिवेदन प्रस्तुत करना, सभी मसलों से मंडल आयुक्त को अवगत कराना, मंडल आयुक्त की अनुपस्थिति में जिला विकास प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष के रूप में कार्य करना आदी आ जाते हैं।
  • मुख्य प्रोटोकोल अधिकारी के कामों में, जनगणना के कार्य को संपन्न कराना, रोजमर्रा की जरुरत की वस्तुओं की आपूर्ति और वितरण पर निगरानी रखना, स्थानीय जनता की समस्याओं को सुनना और उनके निवारण हेतु आवश्यक कदम उठाना, जिले के युवा सरकारी अधिकारियों की गतिविधियों का निरीक्षण करना और उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था करना आदी शामिल हैं।
  • मुख्य विकास अधिकारी के कामों में, जिले के सभी विकास कार्यक्रमों व योजनाओं को लागू करना, लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की नीति को प्रभाव में लाना, जिले में राज्य के मध्यस्थ अधिकारी की भूमिका निभाना आदि हैं।

और इसके बाद निर्वाचन अधिकारी के कामों में, जिले में सभी तरह के निर्वाचन कार्यों को सम्पन्न कराना और जिले में होने वाले चुनावों का नियंत्रण व निरीक्षण करना आदि शामिल है। 

जिनके मन में यह प्रश्न रहता है कि आईएएस बनने के लिए कितनी रैंक चाहिए, तो जैसा हमने ऊपर बताया, top ranker ही IAS बनते हैं, और उसके बाद उन्हें अपने पद के हिसाब से उपयुक्त कार्य करने होते हैं।

IAS officer की salary और अन्य भत्ते –

एक आईएएस ऑफिसर को शानदार सैलरी मिलती है। सातवें पे कमीशन के तहत इनकी सैलरी 56,100 से लेकर कैबिनेट सेक्रेटरी के रूप में 2.5 लाख रुपये प्रति महीने होती है। मूल वेतन और ग्रेड पे के अलावा इन्‍हें –

  • डियरनेस अलाउंस
  • हाउस रेंट अलाउंस
  • मेडिकल अलाउंस
  • कन्वेंशन अलाउंस 
  • बंगला
  • कुक
  • गार्डनर
  • सुरक्षा गार्ड 
  • और अन्य घरेलू सहायता

भी मिलता है। 

IAS अधिकारियों को मुफ्त में या फिर अधिक सब्सिडी पर बिजली और टेलिफोनिक सेवाएं मिलती हैं। 

एक आईएएस ऑफिसर को पोस्टिंग के दौरान यदि कहीं जाना पड़े तो वहां भी उन्हें सरकारी घर दिया जाता है। 

आने जाने के लिए कम से कम 1 और अधिकतम 3 आधिकारिक वाहन और साथ ही ड्राइवर भी मिलते हैं। 

इसके अलावा आईएएस अधिकारी किसी प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने के लिए छुट्टी ले सकते हैं, जिसका खर्च भी सरकार द्वारा उठाया जाता है। 

रिटायरमेंट के बाद भी आईएएस अधिकारियों को अन्य लाभ और सुविधाओं के साथ आजीवन मासिक पेंशन मिलती है।

आईएएस अधिकारी की पावर क्या होती है?

IAS के पास अपने संबंधित क्षेत्रों के विकास के लिए प्रस्ताव बनाने, सरकारी नीतियां लागू करने और जरूरी निर्णय लेने की कार्यकारी शक्तियां होती हैं। वह जिले के सभी विभागों का मुखिया होता है।

आईएएस की पहली पोस्टिंग क्या होती है?

IAS की पहली पोस्टिंग SDM के रूप में होती है, जिसके बाद उन्‍हें जिला मजिस्ट्रेट और उपायुक्त के पोस्‍ट पर प्रमोशन मिलता है।

हर साल कितने IAS अधिकारी चुने जाते हैं?

आईएएस की परीक्षा के परिणामों के अनुसार, हर साल में देश में लगभग 180 पदों पर IAS अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है।

एक जिले में कितने आईएएस होते हैं?

1 जिले में आईएएस officers की संख्या अलग-अलग हो सकती है। DM या DC के साथ-साथ SP समेत और भी कुछ पदों पर आईएएस नियुक्त किए जा सकते हैं।

Conclusion

इस आर्टिकल में हमने आईएएस अधिकारी की शक्तियों और सुविधाओं के बारे में बात की है। 

सिविल सेवा में बहुत से विद्यार्थियों का सपना एक आईएएस बनने का होता है, और ऐसे विद्यार्थियों के मन में आईएएस ऑफिसर की शक्तियों और सुविधाओं से संबंधित प्रश्न रहते ही हैं। 

आइएएस बनने से संबंधित अन्य कई सवाल भी जैसे आईएएस बनने के लिए कौन सी डिग्री चाहिए, इसमें कितना और क्या पढ़ना होता है, आदि भी बहुत विद्यार्थियों के मन में रहते हैं। 

आईएएस की तैयारी में जुड़ने से पहले उम्मीदवार को इससे संबंधित सभी जानकारी ले लेनी चाहिए।

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