D.Pharma में कितने विषय होते है? | D Pharma Subject List

दोस्तों मेडिकल एक ऐसा क्षेत्र है जो आज के समय में करियर के लिए सबसे ज्यादा चुने जाने वाले field में आता है।

बहुत सारे युवा कैरियर के रूप में पहला विकल्प इंजीनियरिंग और मेडिकल क्षेत्र को ही देखते हैं।

पढ़ाई के बाद हर कोई चाहेगा कि उसे एक अच्छा जॉब मिल जाए, और pharmacy एक ऐसा क्षेत्र है जो इसका अच्छा विकल्प देती है।

फार्मेसी में दवाओ को प्रस्तुत करना, वितरण करना, यानी कुल मिलाकर स्वास्थ्य सेवाएं देना सिखाया जाता है।

फार्मेसी में मुख्यतः 3 कोर्स होते हैं, एम फार्मा, बी फार्मा और डी फार्मा। यहां हम डी फार्मा की बात करने वाले हैं।

शायद आपने सुना हो कि कोई मेडिकल स्टोर खोलने या उस जैसे किसी काम के लिए डी फार्मा जैसे कोर्स को करने की जरूरत पड़ती है।

D. Pharma में कितने subjects होते हैं?

आज हम जानेंगे

1st year में D Pharma के subjects

डी फार्मा कोर्स के पहले साल में यानी सेमेस्टर वन और टू में विद्यार्थी को 6 विषय पढ़ने होते हैं। 1st year के subjects के नाम निम्नलिखित है –

  • Pharmaceutics-i
  • Pharmaceutical Chemistry-i
  • Pharmacology
  • Biochemistry & Clinical Pathology
  • Health Education & Community Pharmacy
  • Human Anatomy & Physiology
  • Pharmaceutics- 1

1. Pharmaceutics-1

के अंतर्गत आपको दवाओं से संबंधित introduction of different doses forms, metrology, pharmaceuticals की  packing, size separation आदि के बारे में पढ़ना होता है।

डी फार्मा कोर्स के पहले सेमेस्टर में यह पहला सब्जेक्ट है। मूल रूप से इसमें दवाओं से संबंधित चीजों के बारे में ही पढ़ाया जाता है।

अलग-अलग प्रकार की दवाइयां कैसे बनाई जाती है, पाउडर दवाइयां कैसे अलग है और यह कैसे बनते हैं, टेबलेट कैसे बनते हैं इत्यादि।

किस प्रकार के दवा का इस्तेमाल कहां किया जाता है और उन्हें कैसे बनाया जाता है, इस विषय के अंतर्गत इन्हीं सब को पढ़ना होता है। थ्योरी के साथ-साथ इसमें प्रैक्टिकल भी शामिल होता है।

इस सब्जेक्ट का प्रैक्टिकल आपको आपके कॉलेज के लैब में करवाया जाता है।

2. Pharmaceutical chemistry 1

जितने भी अलग-अलग प्रकार की दवाइयां बनाई जाती है, उन सब में केमिस्ट्री का  ही उपयोग किया जाता है, बिना केमिस्ट्री के दवाइयां बनाना संभव नहीं है।

फार्मास्यूटिकल केमेस्ट्री किस विषय में आपको दवाइयों से संबंधित केमिस्ट्री के बारे में पढ़ाया जाता है।

दवाइयां अलग-अलग कंपाउंड्स को मिलाकर बनाई जाती है जो केमिस्ट्री के अंतर्गत ही आता है।

इसके अंतर्गत इन्हीं विभिन्न प्रकार के कंपाउंड के बारे में पढ़ाया जाता है और किस तरह दवाइयों में इनका इस्तेमाल होता है।

सिर्फ केमिस्ट्री जैसे अलग-अलग केमिकल स्ट्रक्चर और रिएक्शन से अलग इसमें सिर्फ मेडिसिन से संबंधित केमिस्ट्री ही पढ़ाई जाती है।

इसमें भी theory के साथ साथ प्रैक्टिकल भी करना होता है, chemistry के practical precision के साथ करने होते हैं।

3. Pharmacology

मेडिकल साइंस में अलग-अलग प्रकार की दवाइयां अलग-अलग तरीकों से बनाई जाती है, ऐसी दवाइयां जिन्हें हम डायरेक्टली किसी पेड़ या किसी जानवर से प्राप्त करते हैं उन्हें क्रूड मेडिसिन कहा जाता है।

दूसरी दवाओं की तरह इसका भी अपना इस्तेमाल होता है। Pharmacology विषय के अंतर्गत इसी क्रूड मेडिसिन के बारे में पढ़ाया जाता है।

इसके अलावा जो कुछ घरेलू natural दवाइयां होती हैं जैसे कि हल्दी, अदरक जिममें औषधीय गुण होता है, उनका अध्ययन भी फार्मोकोलॉजी के अंतर्गत कराया जाता है।

Crude medicine और घरेलू दवाइयां कई सामान्य बीमारियों में काफी असरदार रहती है।

4. Biochemistry & Clinical Pathology

इस विषय के अंतर्गत बायो केमिस्ट्री का परिचय जिसके अंतर्गत  प्रोटींस, पॉलिपेप्टाइड्स, एमिनो एसिड के काम और डेफिशियेंसी डिजीज इत्यादि के बारे में अध्ययन कराया जाता है।

Carbohydrates, जिसमें की कार्बोहाइड्रेट के काम, क्लासिफिकेशन, कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिज्म से संबंधित बीमारियां आदि के बारे में पढ़ना होता है।

Lipids, जिसमें lipids के रोल, classification और इससे संबंधित बीमारियों के बारे में पढ़ना होता है।

अलग-अलग प्रकार के केमिकल एंजाइम्स हमारे शरीर में किस प्रकार कार्य करते हैं, उनसे संबंधित दवाइयां कौन-सी होती है , इत्यादि का अध्ययन बायो- केमिस्ट्री के अंतर्गत किया जाता है।

पैथोलॉजी का मतलब ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट और इस जैसे दूसरी जांचों का अध्ययन करना होता है।

कई बीमारियों में डॉक्टरों द्वारा मल मूत्र जांच कराने को कहा जाता है, इनका अध्ययन इसी विषय के अंतर्गत आता है।

दूसरी विषयों की तरह इसमें भी थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल भी करना होता है। यह डी फार्मा कोर्स का एक महत्वपूर्ण विषय है।

5. Health Education & Community Pharmacy

इस विषय के अंतर्गत सामान्य हेल्थ एजुकेशन से जुड़ी चीजों के बारे में विस्तार से अध्ययन कराया जाता है।

डी फार्मा के फर्स्ट ईयर के दूसरे विषयों की तुलना में यह थोड़ा आसान विषय हो सकता है।

इस विषय के अंतर्गत concept of health, nutrition and health, environment and health, communicable और non communicable disease, microbiology के fundamental principles, sexually transmitted disease, surface infection, epidemiology और first aid आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है।

क्योंकि general health education के लिए इनकी जानकारी होना आवश्यक होता है।

इस विषय का कोई प्रैक्टिकल नहीं होता है बस थ्योरी में ही इससे जुड़ी सभी चीजों  को अच्छे से पढ़ना होता है।

6. Human Anatomy & Physiology

Anatomy को एक प्रकार से स्ट्रक्चर कहा जा सकता है। Human anatomy और physiology human body और उसके different parts के structure के बारे में पढ़ना होता है।

इसमें structure of cell, इसके components के function, mitochondria, microsomes आदि के बारे में पढ़ना होता है।

Human anatomy के अंतर्गत मानव शरीर के अलग अलग systems जैसे skeletal system, respiratory system, muscular system, urinary system, central nervous system, cardiovascular system, digestive system, reproductive system, endocrine system और sensory organs आदि के बारे में पढ़ना होता है।

इस विषय में भी थ्योरी के साथ साथ प्रेक्टिकल भी करना होता है।

आप जान सकते है की D Pharma की फ़ीस कितनी है।

D Pharma में 2nd year के subjects

डी फार्मा कोर्स के दूसरे साल यानी सेकंड ईयर में भी विद्यार्थी को 6 सब्जेक्ट पढ़ने होते हैं, semester 3 और semester 4 के 6 subjects में से कुछ विषय फर्स्ट ईयर के विषय का ही दूसरा भाग होता है, जिसमें उस विषय के बारे में आगे पढ़ाया जाता है।

2nd year के 6 subjects के नाम निम्नलिखित हैं –

  • Pharmaceutics 2
  • Pharmaceutical chemistry 2
  • Pharmacognosy toxicology
  • Pharmaceutical jurisprudence
  • Drug store business management
  • Hospital clinical pharmacy
  • Pharmaceutics 2

1. Pharmaceutics

ऐसा विषय है जो आपको सेकंड ईयर में भी पढ़ना होता है। इसमें आपको दवाओं के prescription, जिसमें की प्रिसक्रिप्शन लिखना और समझना, prescription में दूसरे terms का उपयोग आदि सिखाया जाता है।

Posology यानी दवाइयों के doses के बारे में आगे और पढ़ाया जाता है, कौन-कौन सी चीजें dose को प्रभावित करती है, उम्र के हिसाब से कितना dose लेना चाहिए जैसी चीजें।

इसके अलावा powered दवाइया, liquid oral dosage forms, biphasic liquid dosage forms, emulsions, semi solid dosage forms, pastes, jellies, parenteral dosage forms, ophthalmic products आदि के बारे में आगे और विस्तार से पढ़ाया जाता है।

इस विषय में भी थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों ही शामिल है।

2. Pharmaceutical chemistry 2

यह विषय भी फार्मास्यूटिकल केमेस्ट्री के बारे में आगे पढ़ाता है। इसमें organic chemical systems के nomenclature, pharmaceutical organic compounds के nomenclature, उनके chemical structures,  physical और  chemical properties के बारे में पढ़ना होता है।

इसके अंतर्गत पढ़े जाने वाली दूसरी चीजों में एंटीसेप्टिक और डिसइनफेक्टेंट्स, sulphonamides, एंटीलेप्रोटिक ड्रग्स, anti -tubercular drugs, Antiamoebic and Anthelmintic Drugs, antibiotics, antifungal drugs, tranquilizers, hepnotics, general anesthetics, antidepressant drugs, local anesthetics और इस जैसे और भी अलग-अलग प्रकार की दवाइयां आती है।

अलग-अलग दवाइयां केमीकली किस तरह असर करती है, इसका अध्याय इसी विषय के अंतर्गत होता है। इसमें भी थ्योरी और साथ ही प्रैक्टिकल भी करना होता है।

3. Pharmacognosy toxicology

इस विषय के अंतर्गत विद्यार्थियों को Introduction to pharmacology, scope of pharmacology, Routes of administration of drugs,General mechanism of drugs action, Drugs acting on the central Nervous system जैसी चीजें पढ़नी होती है।

Drugs respiratory system पर किस तरह काम करते हैं, cardiovascular drugs,Drugs acting on digestive system,Chemotherapy of microbial diseases आदि की पढ़ाई भी इसी के अंतर्गत होती है।

इसके अलावा इसमें Disinfectants और antiseptics के बारे में भी पढ़ना होता है।

Toxicology के अंतर्गत पढ़ा जाता है कि पेड़ पौधे जंतुओं और पर्यावरण पर जहरीली चीजों की वजह से किस प्रकार बुरा प्रभाव पड़ता है, बुरी चीजों का प्रभाव और उनसे बचाव, जहरीले पदार्थों की study इस विषय में की जाती है।

इस विषय में भी थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों ही पढ़ने होते हैं।

4. Pharmaceutical jurisprudence

इस विषय के अंतर्गत Origin and nature of pharmaceutical legislation in India,Principles and significance of professional Ethics,Pharmacy Act,1948, The Drugs and Cosmetics Act,1940,The Drugs and Magic Remedies (objectionable Advertisement) Act, 1954,Narcotic Drugs and psychotropic substances Act,1985,Poisons Act 1919 और इस तरह की दूसरी चीजें पढ़नी होती है।

यानी मेडिसिन के क्षेत्र में मुख्य काम कब हुए थे, किस प्रकार से नई दवाइयों का आविष्कार किया जाए, कौन से रोग के लिए कौन सी दवा बेहतर रहती है, और उसे किस तरह लेने पर सबसे ज्यादा effective रहती है, इत्यादि का अध्ययन इसी विषय के अंतर्गत किया जाता है।

5. Drug store business management

डी फार्मा का कोर्स करने के बाद आप एक लाइसेंस प्राप्त करके मेडिकल स्टोर खोल सकते हैं, पर उस मेडिकल स्टोर को अच्छे से चलाने के लिए आपको drug store manage करना आना चाहिए।

इसमें Drug House Management, sales, recruitment, evaluation of pharmacists, उनकी training, इससे संबंधित banking and finance जैसी चीजों के बारे में सिखाया जाता है।

लीगल रिक्वायरमेंट, objective of purchasing, tender, contract, मॉडर्न तकनीक, जैसी चीजें पढ़ाई जाती है।

यानी कुल मिलाकर के इस विषय के अंतर्गत आपको मेडिकल स्टोर के लिए जरूरी commerce और accountancy की पूरी पढ़ाई कराई जाती है।

कई लोग डी फार्मा सिर्फ मेडिकल स्टोर खोलने के लिए भी करते हैं ऐसे में यह विषय महत्वपूर्ण हो जाता है।

6. Hospital clinical pharmacy

इसमें हॉस्पिटल फार्मेसी, जिसमें किस तरह दवाइयां distribute की जाती हैं, हॉस्पिटल formulary सिस्टम, surgical dressing और application of computers आदि के बारे में बताया जाता है।

Clinical pharmacy में Modern dispensing aspects, Drug dependencies, bioavailability of drugs जैसी चीजों के बारे में पढ़ना होता है।

आसान भाषा में इस विषय के अंतर्गत हॉस्पिटल या अन्य किसी clinic आदि में किस प्रकार मरीजों की देखभाल की जाती है, किस प्रकार उन्हें दवाइयां दी जाती है, उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है, उन्हें बीमारियां होने से बचाने के तरीकों आदि जैसी चीजों के बारे में पढ़ाया जाता है।

क्या D Pharma के विषय कठिन होते हैं ?

डी फार्मा में आपको Pharmaceutics, Pharmaceutical Chemistry, Pharmacology, Biochemistry & Clinical Pathology, Health Education & Community Pharmacy जैसे विषय पढ़ने होते हैं। 

ये सारे विषय अपने आप में आसन ही होते हैं। आपको सेमेस्टर वाइज अलग अलग विषयों को पढ़ना होता है, हर विषय के लिए आपको पर्याप्त समय मिलता है इसीलिए आप आसानी से इनका अच्छे से अध्ययन कर सकते हैं। 

D.Pharma के लिए आपका कौन-सा विषय अच्छा होना चाहिए ?

कई बार विद्यार्थियों के मन में यह सवाल भी आ सकता है कि डी फार्मा कोर्स करने के लिए या कहे 12वीं के बाद डी फार्मा चुनने के लिए उनका कौन सा विषय अच्छा होना चाहिए? 

D Pharma एक मेडिकल कोर्स है तो जाहिर है कि आपके लिए Biology background से होना ही अच्छा है। 

इसमें आपको दवाओं, उनके निर्माण की प्रक्रिया, आदि के साथ-साथ एक फार्मासिस्ट के दूसरे जरूरी कामों के बारे में पढ़ाया जाता है। 

Biology के साथ-साथ आपकी केमिस्ट्री भी अच्छी होनी चाहिए क्योंकि दवाओं को लेकर इसकी जानकारी होना भी जरूरी है। 

Mostly इसमें दवाइयों से संबंधित जरूरी विषय ही पढ़ने होते हैं, इसलिए यदि आपको डी फार्मा का चुनाव करना है, तो अच्छा होगा कि आपकी बायलॉजी और केमिस्ट्री की नॉलेज अच्छी हो।

Conclusion

यदि कोई भी फार्मेसी में अपना करियर बनाना चाहता है, या फिर कोई मेडिकल स्टोर खोलना चाहता है तो वह डी फार्मा का कोर्स कर सकता है।

इस लेख में हम मुख्य तौर पर बात की डी फार्मा में कितने सब्जेक्ट होते हैं।

डी फार्मा कोर्स करने के दौरान आपको कौन-कौन से सब्जेक्ट पढ़ने होते हैं, और उनमें किस चीज के बारे में पढ़ाया जाता है। यादि डी फार्मा के कोर्स से संबंधित आपके मन में कोई सवाल हो तो आप हमे इस aeticle के नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

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