पायलट का कोर्स कितने साल का होता है? | Pilot ka course kitne sal ka hota hai

इस आर्टिकल में हमारा टॉपिक है, ‘पायलट का कोर्स कितने साल का होता है?’। 

पायलट कोर्स की अवधि कितनी होती है? 

पायलट का कोर्स करने में कितने साल लगते हैं? 

दोस्तों जब भी हम सबसे पॉपुलर professions की बात करते हैं तो डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर, वकील आदि के साथ-साथ पायलट का भी नाम कहीं न कहीं इसमें काफी पहले आता है। 

बहुत से विद्यार्थी चाहते हैं कि वे आगे जाकर एक पायलट बनें। 

अब जाहिर है शुरुआत में हर विद्यार्थी के मन में pilot बनने से संबंधित कई महत्वपूर्ण सवाल होते हैं। 

इन्हीं में एक सवाल पायलट कोर्स की अवधि को लेकर भी रहता है कि पायलट का कोर्स कितने साल का होता है?

या पायलट का कोर्स पूरा करने में कितने साल लगते हैं?

इस आर्टिकल में हम इसी के बारे में विस्तार से बात करेंगे। 

यहां हम पायलट कोर्स की अवधि और इससे जुड़ी जो भी अन्य जरूरी बातें हैं, जिनके बारे में विद्यार्थियों को पता होना चाहिए, उन सभी के बारे में आपको विस्तार से जानकारी देने का प्रयास करेंगे।

आज हम जानेंगे

पायलट का कोर्स कितने साल का होता है?

एक फ्लाइंग स्कूल में आपकी कमर्शियल पायलट ट्रेनिंग कोर्स की अवधि सामान्यत: 1.5 से 2 साल यानी 18 से लेकर 24 महीने तक की होती है। 

अलग-अलग फ्लाइंग स्कूल में इस अवधि में थोड़ा बहुत अंतर देखने को मिल सकता है। 

वहीं Army में पायलट बनने की बात करें तो, इसके लिए आपको नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) की परीक्षा पास करनी होती है, इसके बाद उन्हें पायलट बनने के लिए 3 साल की फ्लाइंग ट्रेनिंग दी जाती है। 

3 साल की ट्रेनिंग के बाद वे सेना में पायलट बनते हैं। 

तो कुल मिलाकर कहें तो तो भारत में एक पायलट बनने के लिए लगने वाला समय, या कहें पायलट ट्रेनिंग कोर्स की अवधि 2-3 साल की होती है। 

इसीलिए भारत में एक पायलट बनने के लिए आपको लगभग 3 साल लग ही जाते हैं। 

जब हम पायलट के कोर्स की बात करते हैं, तो इसका मतलब पायलट ट्रेनिंग ही होता है, जिसमें की मुख्य तौर पर उम्मीदवारों को पायलट बनने यानी कि प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है। 

भारत में पायलट बनने के 2 तरीके हैं, पहला है सिविल एविएशन और दूसरा है NDA. 

सिविल aviation का मतलब है कमर्शियल पायलट, जो कि किसी भी एयरलाइन के लिए कमर्शियल प्लेन या प्राइवेट प्लेन आदि उड़ाते हैं। 

NDA से मतलब है भारतीय सेना या कहें भारतीय वायुसेना में Air Force Pilot बनना। 

कमर्शियल पायलट बनने के लिए सबसे जरूरी है आपको कमर्शियल पायलट लाइसेंस यानी CPL प्राप्त करना। 

CPL प्राप्त करने के लिए ही आप किसी फ्लाइंग स्कूल में पायलट ट्रेनिंग कोर्स में दाखिला लेते हैं। 

CPL प्राप्त करने के लिए आपको 1.5 – 2 साल की अवधि वाला कोर्स/ट्रेनिंग करना होता है जिसमें मुख्यत: आपको 210 flying hours पूरे करने होते हैं। 

NDA के माध्यम से पायलट बनने के लिए आपको इंडिया परीक्षा पास करके नेशनल डिफेंस एकेडमी में दाखिला लेना होता है। 

जिसके बाद अगर आप पायलट चुनते हैं तो फिर हमको नेशनल डिफेंस एकेडमी में ही 3 साल की फ्लाइंग ट्रेनिंग दी जाती है, जिसके बाद आपकी सेना में नियुक्ति होती है और आप एयरफोर्स पायलट बन सकते हैं।

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Pilot Course में क्या सिखाया जाता है?

हालांकि इस प्रश्न का जवाब तो हर किसी के पास होगा कि पायलट कोर्स या पायलट ट्रेनिंग कोर्स के दौरान उम्मीदवारों को पायलट बनने की ट्रेनिंग दी जाती है। 

इसमें उम्मीदवारों को थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों ही जरूरी चीजें पढ़ाई जाती हैं।

Theory में उन्हें aeroplane के system, navigation, aeronautics, पूरे plane के बारे में, और इससे संबंधित अन्य जो भी जरूरी चीजें हैं उन सभी के बारे में पढ़ाया जाता है।

फिर practical में तो जाहिर है कि उन्हें प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है। 

कमर्शियल पायलट की बात करें तो, सबसे पहले आप 12वीं पास करके किसी फ्लाइंग स्कूल का एंट्रेंस एग्जाम देते हैं। 

एंट्रेंस एग्जाम पास करने के बाद आपका इंटरव्यू होता है। 

फिर इंटरव्यू के बाद आपका क्लास वन और क्लास टू मेडिकल टेस्ट होता है। 

यह सब पार करने के बाद आपका फ्लाइंग स्कूल में पायलट ट्रेनिंग कोर्स में एडमिशन हो जाता है। 

एडमिशन होते के साथ ही आपको ‌SPL यानी student pilot licence मिल जाता है जिसका मतलब है कि आप एक स्टूडेंट के तौर पर किसी प्लेन के कॉकपिट में बैठकर अपनी पायलट की ट्रेनिंग शुरू कर सकते हैं। 

इसके बाद आप plane उड़ाना सीखते हैं, फिर जैसे ही प्लेन उड़ाते हुए आपके 60 घंटे पूरे हो जाते हैं आपको PPL यानी private pilot licence मिल जाता है, और फिर जैसे ही आपके 210 flying hours पूरे हो जाते हैं आपको CPL (commercial pilot licence) मिल जाता है। 

यही CPL सबसे जरूरी होता है, यह मिल जाने के बाद आप किसी भी एयरलाइन में पायलट की जॉब के लिए अप्लाई कर सकते हैं। 

सेना में पायलट बनने के लिए, 12वीं पास करने के बाद आप एनडीए की परीक्षा देंगे, और उसे पास करने के बाद नेशनल डिफेंस एकेडमी में दाखिला लेंगे। 

पायलट के लिए नेशनल डिफेंस एकेडमी में आपको 3 साल की ट्रेनिंग दी जाती है। 

ट्रेनिंग पूरी करने के बाद कैंडिडेट को परमानेंट कमिशन ऑफिस उनके पोस्ट पर जॉइनिंग दी जाती है, और इसी पद पर वे एयरफोर्स में अपनी सेवा देते हैं। 

NDA की परीक्षा यूपीएससी द्वारा आयोजित कराई जाती है। 

NDA के अलावा यूपीएससी CDSE परीक्षा भी कंडक्ट कराता है। 

यह परीक्षा भी मिलिट्री, नेवी और एयरफोर्स में पायलट बनने के लिए ही होती है। 

CDSE पास करने के बाद कैंडिडेट को इंडियन मिलिट्री, इंडियन नेवल एकेडमी या एयर फोर्स अकैडमी में एडमिशन मिलता है। 

वहां भी उन्हें 3 साल की ट्रेनिंग दी जाती है, और पूरी होने के बाद उन्हें परमानेंट कमीशन ऑफिसर के तौर पर नियुक्त किया जाता है जहां वे अपनी सर्विस देते हैं। 

क्या मैं एनडीए से पायलट बन सकता हूं?

सेना में पायलट बनने के लिए आपको NDA की परीक्षा पास करनी होगी। जिसके बाद चयनित उम्मीदवारों को 3 साल का पायलट प्रशिक्षण दिया जाता है, और फिर सेना में नियुक्त किया जाता है।

मैं 12वीं आर्ट्स के बाद पायलट कैसे बन सकता हूं?

Pilot बनने के लिए PCM subjects अनिवार्य है। 12वीं arts के बाद भी विद्यार्थी पायलट बन सकते हैं, लेकिन उन्हें open school से physics और maths की परीक्षा 55% के साथ पास करनी होगी।

पायलट बनने के लिए आयु सीमा क्या है?

पायलट बनने के लिए आयु सीमा 18-32 साल तक की है। यह आयु सीमा है जब आप शुरुआत में पायलट के तौर पर ज्वाइन करते हैं।

एनडीए में जाने के लिए उम्र कितनी होनी चाहिए?

NDA परीक्षा में बैठने के लिए उम्मीदवार की आयु 16.5 से 19.5 साल के बीच होनी चाहिए।

Conclusion

ऊपर इस आर्टिकल में हमने ‘पायलट का कोर्स कितने साल का होता है?’ इस बारे में बात की है। 

यहां हमने आपको भारत में पायलट बनने में लगने वाला समय और इससे रिलेटेड कुछ आने जरूरी बातें जैसे इसकी प्रक्रिया आदि के बारे में भी संक्षिप्त में जानकारी दी है। 

उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपके लिए informative रहा होगा। 

इससे संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो हमें कमेंट सेक्शन में जरूर पूछें।

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